Gita Gyan, Divya Gyan || Thought of the Day || Daily Quote

 Gita Gyan since 30 July 2023


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श्री भगवद्गीता जी के 18 अध्याय हैं और यह ज्ञान संस्कृत में श्री कृष्ण जी द्वारा दिया गया था । समय के साथ संस्कृत भाषा रोजमर्रा की जिंदगी से निकल गई और यह ज्ञान मनुष्य से दूर हो गया। समय-समय पर श्रीमद्भगवद्गीता का साधारण अक्षरों में अनुवाद किया गया। इसी प्रयास को आगे बढ़ाते हुए मैं यहां श्रीमद्भगवद्गीता के ज्ञान को  हरि कृपा से हर रोज एक विचार के रूप में प्रस्तुत कर रही हूँ। उम्मीद करती हूँ कि आप को यह प्रयास पसंद आ रहा है।


नित्य गीता पढ़ने से मन सदैव शान्त रहता है। हमारे सारे नकारात्मक प्रभाव नष्ट हो जाते है। सभी प्रकार की बुराइयों से दूरी स्वतः ही बनने लगती है। हमारा भय दूर हो जाता है और हम निर्भय बन जाते हैं। 


🪔100🪔कृष्ण कहते हैं: 

तुम सदैव मेरा स्मरण करते हो तब मेरी कृपा से तुम सभी कठिनाईयों और बाधाओं को पार कर पाओगे। यदि तुम अभिमान के कारण मेरे उपदेश को नहीं सुनोगे तब तुम्हारा विनाश हो जाएगा।


कृष्ण कहते हैं:  तुम सदैव मेरा स्मरण करते हो तब मेरी कृपा से तुम सभी कठिनाईयों और बाधाओं को पार कर पाओगे। यदि तुम अभिमान के कारण मेरे उपदेश को नहीं सुनोगे तब तुम्हारा विनाश हो जाएगा।



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🪔99🪔 श्री कृष्ण कहते हैं: अपने सभी कर्म मुझे समर्पित करो और मुझे ही अपना लक्ष्य मानो, बुद्धियोग का आश्रय लेकर अपनी चेतना को सदैव मुझमें लीन रखो।


श्री कृष्ण कहते हैं: अपने सभी कर्म मुझे समर्पित करो और मुझे ही अपना लक्ष्य मानो, बुद्धियोग का आश्रय लेकर अपनी चेतना को सदैव मुझमें लीन रखो।



🪔98🪔यदि कृष्ण भक्त सभी प्रकार के कार्यों को करते हुए उनकी पूर्ण शरण ग्रहण करते हैं। तब वे उनकी कृपा से उनका नित्य एवं अविनाशी धाम प्राप्त करते हैं।


यदि कृष्ण भक्त सभी प्रकार के कार्यों को करते हुए उनकी पूर्ण शरण ग्रहण करते हैं। तब वे उनकी कृपा से उनका नित्य एवं अविनाशी धाम प्राप्त करते हैं।


🪔97🪔यदि आकाश में हजारों सूर्य एक साथ उदय होते हैं तो भी उन सबका प्रकाश भगवान के दिव्य तेजस्वी रूप की समानता नहीं कर सकता।








🪔96🪔 अर्जुन ने भगवान के दिव्य विराट रूप में असंख्य मुख और आंखों को देखा। उनका रूप अनेक दैवीय आभूषण से अलंकृत था और कई प्रकार के दिव्य शस्त्रों को उठाए हुए था। उन्होंने उस शरीर पर अनेक मालाएँ और वस्त्र धारण किए हुए थे जिस पर कई प्रकार की दिव्य मधुर सुगन्धिया लगी थी। वह स्वयं को आश्चर्यमय और अनंत भगवान के रूप में प्रकट कर रहे थे जिनका मुख सर्वव्याप्त था।


अर्जुन ने भगवान के दिव्य विराट रूप में असंख्य मुख और आंखों को देखा। उनका रूप अनेक दैवीय आभूषण से अलंकृत था और कई प्रकार के दिव्य शस्त्रों को उठाए हुए था। उन्होंने उस शरीर पर अनेक मालाएँ और वस्त्र धारण किए हुए थे जिस पर कई प्रकार की दिव्य मधुर सुगन्धिया लगी थी। वह स्वयं को आश्चर्यमय और अनंत भगवान के रूप में प्रकट कर रहे थे जिनका मुख सर्वव्याप्त था।




🪔95.🪔यदि तुम भक्ति मार्ग के पालन के साथ मेरा स्मरण करने का अभ्यास नहीं कर सकते तब मेरी सेवा के लिए कर्म करने का अभ्यास करो। इस प्रकार तुम पूर्णता की अवस्था को प्राप्त कर लोगे।


यदि तुम भक्ति मार्ग के पालन के साथ मेरा स्मरण करने का अभ्यास नहीं कर सकते तब मेरी सेवा के लिए कर्म करने का अभ्यास करो। इस प्रकार तुम पूर्णता की अवस्था को प्राप्त कर लोगे।





🪔94🪔वे जो न तो अप्रिय कर्म को टालते हैं और न ही कर्म को प्रिय जानकर उसमें लिप्त होते हैं ऐसे मनुष्य वास्तव में त्यागी होते हैं। वे सात्विक गुणों से संपन्न होते है और कर्म की प्रकृति के संबंध में उनमें कोई संशय नहीं होता।


वे जो न तो अप्रिय कर्म को टालते हैं और न ही कर्म को प्रिय जानकर उसमें लिप्त होते हैं ऐसे मनुष्य वास्तव में त्यागी होते हैं। वे सात्विक गुणों से संपन्न होते है और कर्म की प्रकृति के संबंध में उनमें कोई संशय नहीं होता।





🪔93🪔मन में संतोष का भाव, सभी प्राणियों के प्रति आदर, प्रेम का भाव, केवल ईश्वरीय चिन्तन का भाव, मन को आत्मा में स्थिर करने का भाव और सभी प्रकार से मन को शुद्ध करना, मन सम्बन्धी तप कहा जाता है।


मन में संतोष का भाव, सभी प्राणियों के प्रति आदर, प्रेम का भाव, केवल ईश्वरीय चिन्तन का भाव, मन को आत्मा में स्थिर करने का भाव और सभी प्रकार से मन को शुद्ध करना, मन सम्बन्धी तप कहा जाता है।







🪔92🪔 सच्चे, भाने वाले,हितकर तथा अन्यों को क्षुब्ध न करने वाले वाक्य बोलना और वैदिक साहित्य का नियमित पारायण करना - यही वाणी की तपस्या है ।


सच्चे, भाने वाले,हितकर तथा अन्यों को क्षुब्ध न करने वाले वाक्य बोलना और वैदिक साहित्य का नियमित पारायण करना - यही वाणी की तपस्या है ।





🙏91 🙏ईश्वर, ब्राह्मण, गुरु, माता, पिता के समान पूजनीय व्यक्तियों का पूजन करना, आचरण की शुद्धता, मन की शुद्धता, इन्द्रियों के विषयों के प्रति अनासक्ति और मन, वाणी और शरीर से किसी को भी कष्ट न पहुँचाना, शरीर सम्बन्धी तप कहा जाता है। 


ईश्वर, ब्राह्मण, गुरु, माता, पिता के समान पूजनीय व्यक्तियों का पूजन करना, आचरण की शुद्धता, मन की शुद्धता, इन्द्रियों के विषयों के प्रति अनासक्ति और मन, वाणी और शरीर से किसी को भी कष्ट न पहुँचाना, शरीर सम्बन्धी तप कहा जाता है।




🙏90🙏 मन में संतोष का भाव, सभी प्राणियों के प्रति आदर, प्रेम का भाव, केवल ईश्वरीय चिन्तन का भाव, मन को आत्मा में स्थिर करने का भाव और सभी प्रकार से मन को शुद्ध करना, मन सम्बन्धी तप कहा जाता है।


मन में संतोष का भाव, सभी प्राणियों के प्रति आदर, प्रेम का भाव, केवल ईश्वरीय चिन्तन का भाव, मन को आत्मा में स्थिर करने का भाव और सभी प्रकार से मन को शुद्ध करना, मन सम्बन्धी तप कहा जाता है।



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🙏89🙏जो यज्ञ शास्त्रों के निर्देशों के बिना, अन्न का वितरण किये बिना, वैदिक मन्त्रों के उच्चारण के बिना, पुरोहितों को दक्षिणा दिये बिना और श्रद्धा के बिना किये जाते हैं, उन यज्ञ को तामसी यज्ञ माना जाता है।



जो यज्ञ शास्त्रों के निर्देशों के बिना, अन्न का वितरण किये बिना, वैदिक मन्त्रों के उच्चारण के बिना, पुरोहितों को दक्षिणा दिये बिना और श्रद्धा के बिना किये जाते हैं, उन यज्ञ को तामसी यज्ञ माना जाता है।




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🙏88🙏जो यज्ञ और पूजा-पाठ केवल फल की इच्छा के लिये और अहंकार से युक्त होकर किया जाता है वह राजसी होते हैं। 


जो यज्ञ और पूजा-पाठ केवल फल की इच्छा के लिये और अहंकार से युक्त होकर किया जाता है वह राजसी होते हैं।



🙏87🙏जो यज्ञ और पूजा-पाठ बिना किसी फल की इच्छा से, शास्त्रों के निर्देशानुसार किया जाता है और जो यज्ञ मन को स्थिर करके कर्तव्य समझकर केवल प्रभु की प्रसन्नता के लिए किया जाता है वह सात्त्विक यज्ञ होता है।


जो यज्ञ और पूजा-पाठ बिना किसी फल की इच्छा से, शास्त्रों के निर्देशानुसार किया जाता है और जो यज्ञ मन को स्थिर करके कर्तव्य समझकर केवल प्रभु की प्रसन्नता के लिए किया जाता है वह सात्त्विक यज्ञ होता है।




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🙏86🙏सात्त्विक गुणों से युक्त मनुष्य देवी-देवताओं को पूजते हैं, राजसी गुणों से युक्त मनुष्य यक्ष और राक्षसों को पूजते हैं और अन्य तामसी गुणों से युक्त मनुष्य भूत-प्रेत आदि को पूजते हैं। 


सात्त्विक गुणों से युक्त मनुष्य देवी-देवताओं को पूजते हैं, राजसी गुणों से युक्त मनुष्य यक्ष और राक्षसों को पूजते हैं और अन्य तामसी गुणों से युक्त मनुष्य भूत-प्रेत आदि को पूजते हैं।




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🙏85🙏जो दान अनुचित/अपवित्र स्थान में, अनुचित समय पर, अज्ञानता के साथ बिना आदर भाव, अवमानना के साथ , अपमान करके अयोग्य व्यक्तियों को दिया जाता है, उसे तामसी (तमोगुणी) दान कहा जाता है। 


जो दान अनुचित/अपवित्र स्थान में, अनुचित समय पर, अज्ञानता के साथ बिना आदर भाव, अवमानना के साथ , अपमान करके अयोग्य व्यक्तियों को दिया जाता है, उसे तामसी (तमोगुणी) दान कहा जाता है।




🙏84 🙏जो दान बदले में कुछ पाने की भावना से अथवा किसी प्रकार के फल की कामना से और बिना इच्छा के दिया जाता है, उसे राजसी (रजोगुणी) दान कहा जाता है। 



जो दान बदले में कुछ पाने की भावना से अथवा किसी प्रकार के फल की कामना से और बिना इच्छा के दिया जाता है, उसे राजसी (रजोगुणी) दान कहा जाता है।



🙏83🙏जो दान बिना प्रतिफल की कामना से यथोचित समय और स्थान में किसी सुपात्र को दिया जाता है वह सात्विक दान माना जाता है।

The donation which is given to a deserving person at appropriate time and place without any expectation of return is considered a virtuous donation.


जो दान बिना प्रतिफल की कामना से यथोचित समय और स्थान में किसी सुपात्र को दिया जाता है वह सात्विक दान माना जाता है।



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🙏82🙏 अधिक पके हुए, बासी, सड़े हुए, प्रदूषित तथा अशुद्ध प्रकार के भोजन तमोगुणी व्यक्तियों के प्रिय भोजन हैं।


अधिक पके हुए, बासी, सड़े हुए, प्रदूषित तथा अशुद्ध प्रकार के भोजन तमोगुणी व्यक्तियों के प्रिय भोजन हैं।





🙏81 🙏 दुःख:शोक और रोग उत्पन्न करने वाला आहार रजोगुण व्यक्ति को प्रिय होता है। अत्यन्त गरम, तीखे, खट्टे और नमकीन आहार, जलन उत्पन्न करने वाले आहार रजोगुण उत्पन्न करने वाले आहार है।


दुःख:शोक और रोग उत्पन्न करने वाला आहार रजोगुण व्यक्ति को प्रिय होता है। अत्यन्त गरम, तीखे, खट्टे और नमकीन आहार, जलन उत्पन्न करने वाले आहार रजोगुण उत्पन्न करने वाले आहार है।




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🙏80🙏आयु, सत्त्वगुण, बल, आरोग्य, सुख और प्रसन्नता बढ़ानेवाले, स्थिर रहनेवाले, हृदयको शक्ति देनेवाले, रसयुक्त तथा चिकने -- ऐसे आहार अर्थात् भोजन करनेके पदार्थ सात्त्विक मनुष्यको प्रिय होते हैं।


आयु, सत्त्वगुण, बल, आरोग्य, सुख और प्रसन्नता बढ़ानेवाले, स्थिर रहनेवाले, हृदयको शक्ति देनेवाले, रसयुक्त तथा चिकने -- ऐसे आहार अर्थात् भोजन करनेके पदार्थ सात्त्विक मनुष्यको प्रिय होते हैं।



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🙏79🙏जो खाने, सोने, आमोद-प्रमोद तथा काम करने की आदतों में नियमित रहता है, वह योगाभ्यास द्वारा समस्त भौतिक क्लेशों को नष्ट कर सकता है।



जो खाने, सोने, आमोद-प्रमोद तथा काम करने की आदतों में नियमित रहता है, वह योगाभ्यास द्वारा समस्त भौतिक क्लेशों को नष्ट कर सकता है।




🙏78🙏 निस्सन्देह चंचल (अस्थिर) मन को वश में करना अत्यन्त कठिन है; किन्तु उपयुक्त अभ्यास (practice) द्वारा तथा विरक्ति (disenchantment )  द्वारा ऐसा सम्भव है।


निस्सन्देह चंचल मन को वश में करना अत्यन्त कठिन है; किन्तु उपयुक्त अभ्यास द्वारा तथा विरक्ति द्वारा ऐसा सम्भव है ।




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🙏77🙏जिसका मन उच्छृंखल (मनमानी करने वाला या किसी का दबाव न मानने वाला) है, उसके लिए आत्म-साक्षात्कार (Self-realization) कठिन कार्य होता है, किन्तु जिसका मन संयमित है और जो समुचित उपाय करता है उसकी सफलता ध्रुव है ।


जिसका मन उच्छृंखल है, उसके लिए आत्म-साक्षात्कार कठिन कार्य होता है, किन्तु जिसका मन संयमित है और जो समुचित उपाय करता है उसकी सफलता ध्रुव है ।



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🙏76🙏 चूँकि मन चंचल, हठीला तथा अत्यन्त बलवान है,अतः इसे वश में करना वायु को वश में करने से भी अधिक कठिन है।


चूँकि मन चंचल, हठीला तथा अत्यन्त बलवान है,अतः इसे वश में करना वायु को वश में करने से भी अधिक कठिन है।





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🙏75🙏जो कृष्ण जी को सर्वत्र देखता है और सब कुछ उन्हीं में देखता है, उसके लिए न तो कृष्ण कभी अदृश्य होते हैं और न वह उनके लिए अदृश्य होता हैं ।


।जो कृष्ण जी  को सर्वत्र देखता है और सब कुछ उन्हीं में देखता है, उसके लिए  न तो कृष्ण  कभी अदृश्य होते हैं और न वह उनके लिए अदृश्य होता हैं |




🙏74🙏 व्यक्ति को कभी भी अपने कर्मों पर संदेह नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति खुद का सर्वनाश कर बैठता है। इसलिए सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो जो भी कार्य करें उसे पूरे विश्वास के साथ बिना किसी संदेह के पूरा करें।


व्यक्ति को कभी भी अपने कर्मों पर संदेह नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति खुद का सर्वनाश कर बैठता है। इसलिए सफलता प्राप्त करना चाहते हैं तो जो भी कार्य करें उसे पूरे विश्वास के साथ बिना किसी संदेह के पूरा करें।




🙏73🙏मन अपनी चंचलता तथा अस्थिरता के कारण जहाँ कहीं भी विचरण करता हो,मनुष्य को चाहिए कि उसे वहाँ से खींचे और अपने वश में लाए |


मन अपनी चंचलता तथा अस्थिरता के कारण जहाँ कहीं भी विचरण करता हो,मनुष्य को चाहिए कि उसे वहाँ से खींचे और अपने वश में लाए |



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🙏72🙏ध्यान योग से मनुष्य खुद का मूल्यांकन करना सीखता है। इस योग को करना हर किसी के लिए जरूरी है।


ध्यान योग से मनुष्य खुद का मूल्यांकन करना सीखता है। इस योग  को करना हर किसी के लिए जरूरी है।



🙏71🙏जिसने मन को जीत लिया है उसके लिए मन सर्वश्रेष्ठ मित्र है, किन्तु जो ऐसा नहीं कर पाया इसके लिए मन सबसे बड़ा शत्रु बना रहेगा।


जिसने मन को जीत लिया है उसके लिए मन सर्वश्रेष्ठ मित्र है, किन्तु जो ऐसा नहीं कर पाया इसके लिए मन सबसे बड़ा शत्रु बना रहेगा।




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🙏70🙏 एक श्रेष्ठ व्यक्ति अर्थात राजा, नायक या अध्यात्मिक गुरु जिस तरह के आचरण का पालन करता है, उसकी प्रजा भी उसी आचरण को अपने जीवन में अपना लेती है। यदि राजा निष्ठावान और सत्यप्रिय है तो उसकी प्रजा भी वैसा ही आचरण अपनाएगी।







🙏69🙏 मनुष्य को चाहिए कि अपने मन की सहायता से अपना उद्धार करे और अपने को नीचे ना गिरने दे। यह मन बुद्धिजीवी का मित्र भी है और शत्रु भी।


मनुष्य को चाहिए कि अपने मन की सहायता से अपना उद्धार करे और अपने को नीचे ना गिरने दे। यह मन बुद्धिजीवी का मित्र भी है और शत्रु भी।



🙏68🙏 क्रोध के समय थोड़ा रुक जाएं और गलती के समय थोड़ा झुक जाएं तो दुनिया की सारी समस्याएं हल  हो जांएगी। क्रोध और अंहकार ये दोनों चीजें मनुष्य के विनाश का कारण बनती हैं।


क्रोध के समय थोड़ा रुक जाएं और गलती के समय थोड़ा झुक जाएं तो दुनिया की सारी समस्याएं हल  हो जांएगी। क्रोध और अंहकार ये दोनों चीजें मनुष्य के विनाश का कारण बनती हैं।





🙏67🙏ईश्वर हमेशा मनुष्य का साथ देता है। संदेह की आदत इंसान के दुख का कारण बनती है।


ईश्वर हमेशा मनुष्य का साथ देता है। संदेह की आदत इंसान के दुख का कारण बनती है।





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🙏66🙏तनाव से दूर रहना चाहिए क्योंकि तनाव इंसान को सफल होने से रोकता है।


तनाव से दूर रहना चाहिए क्योंकि तनाव इंसान को सफल होने से रोकता है।






🙏65🙏हर मनुष्य के पास एक सीमित समय होता है, उसे दूसरों की जिंदगी जीने में बेकार नहीं करना चाहिए।


हर मनुष्य के पास एक सीमित समय होता है, उसे दूसरों की जिंदगी जीने में बेकार नहीं करना चाहिए।




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🙏64🙏जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।


जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा। तुम भूत का पश्चाताप न करो। भविष्य की चिन्ता न करो। वर्तमान चल रहा है।



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🙏63🙏 दम्भ, घमण्ड, अभिमान, क्रोध, कठोरता और अज्ञान ये सब आसुरी सम्पदा को लेकर उत्पन्न हुए पुरुष के लक्षण हैं। इनका त्याग तुम्हें अच्छा मनुष्य बनाएगा।


दम्भ, घमण्ड, अभिमान, क्रोध, कठोरता और अज्ञान ये सब आसुरी सम्पदा को लेकर उत्पन्न हुए पुरुष के लक्षण हैं। इनका त्याग तुम्हें अच्छा मनुष्य बनाएगा।






🙏62🙏परेशानी में अगर कोई तुमसे सलाह मांगता है तो उसे सलाह के साथ अपना साथ भी देना। क्योंकि सलाह गलत हो सकती है साथ नहीं।


परेशानी में अगर कोई तुमसे सलाह मांगता है तो उसे सलाह के साथ अपना साथ भी देना क्योंकि सलाह गलत हो सकती है साथ नहीं।



🙏61🙏 केवल डरपोक और कमजोर लोग ही चीजों को भाग्य पर छोड़ते हैं।लेकिन जो मजबूत और खुद पर भरोसा करने वाले होते हैं वे कभी भी नियति या भाग्य पर निर्भर नही रहते।


केवल डरपोक और कमजोर लोग ही चीजों को भाग्य पर छोड़ते हैं।लेकिन जो मजबूत और खुद पर भरोसा करने वाले होते हैं वे कभी भी नियति या भाग्य पर निर्भर नही रहते।



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🙏60🙏 क्रोध तब पुण्य बन जाता है जब वह धर्म और मर्यादा के लिए किया जाए और सहनशीलता तब पाप बन जाती है जब वह धर्म और मर्यादा को बचा ना पाए।


क्रोध तब पुण्य बन जाता है जब वह धर्म और मर्यादा के लिए किया जाए और सहनशीलता तब पाप बन जाती है जब वह धर्म और मर्यादा को बचा ना पाए।


🙏59🙏अपनी पीड़ा के लिए संसार को दोष मत दो। अपने मन को समझाओ क्योंकि तुम्हारे मन का परिवर्तन ही तुम्हारे दुखों का अंत है।


अपनी पीड़ा के लिए संसार को दोष मत दो। अपने मन को समझाओ क्योंकि तुम्हारे मन का परिवर्तन ही तुम्हारे दुखों का अंत है।


🙏58🙏हर मनुष्य जीत के लिए खुद को प्रेरित करना चाहिए। प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत आपके अपने विचार ही होते हैं। इसलिए बड़ा सोचें और खुद को जीतने के लिए प्रेरित करते रहें।


हर मनुष्य जीत के लिए खुद को प्रेरित करना चाहिए। प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत आपके अपने विचार ही होते हैं। इसलिए बड़ा सोचें और खुद को जीतने के लिए प्रेरित करते रहें।



🙏57🙏 मनुष्य को स्वयं पर विश्वास होना चाहिए कि उसका प्रयास सही दिशा में है, सफलता तभी मिलेगी।


मनुष्य को स्वयं पर विश्वास होना चाहिए कि उसका प्रयास सही दिशा में है, सफलता तभी मिलेगी।


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🙏56🙏अगर किसी चीज को पूरे विश्वास के साथ हासिल करने का प्रयास किया जाए और उस पर लगातार चिंतन किया जाए तो वह अवश्य मिलती है।


अगर किसी चीज को पूरे विश्वास के साथ हासिल करने का प्रयास किया जाए और उस पर लगातार चिंतन  किया जाए तो वह अवश्य मिलती है।




🙏55🙏 हर मनुष्य को सोच-समझ कर ही अपने कर्म करने चाहिए क्योंकि हमें भविष्य में अपने कर्मों के अनुसार ही फल भोगना पड़ता है।


हर मनुष्य को सोच-समझ कर ही अपने कर्म करने चाहिए क्योंकि हमें भविष्य में अपने कर्मों के अनुसार ही फल भोगना पड़ता है।



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🙏54🙏 हर मनुष्य को सोच-समझ कर ही अपने कर्म करने चाहिए क्योंकि हमें भविष्य में अपने कर्मों के अनुसार ही फल भोगना पड़ता है।


हर मनुष्य को सोच-समझ कर ही अपने कर्म करने चाहिए क्योंकि हमें भविष्य में अपने कर्मों के अनुसार ही फल भोगना पड़ता है।




🙏53🙏अगर आपकी अंतरात्मा और आपकी नियत साफ है तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई आपको अच्छा कहे या बुरा। आप अपनी नीयत से पहचाने जाएंगे, दूसरों की सोच से नहीं।


अगर आपकी अंतरात्मा और आपकी नियत साफ है तो इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि कोई आपको अच्छा कहे या बुरा। आप अपनी नीयत से पहचाने जाएंगे, दूसरों की सोच से नहीं।



🙏52🙏 जिसने मन को जीत लिया है, उसने पहले ही परमात्मा को प्राप्त कर लिया है, क्योंकि उसने शान्ति प्राप्त कर ली है | ऐसे पुरुष के लिए सुख-दुख, सर्दी-गर्मी एवं मान-अपमान एक से हैं |


जिसने मन को जीत लिया है, उसने पहले ही परमात्मा को प्राप्त कर लिया है, क्योंकि उसने शान्ति प्राप्त कर ली है | ऐसे पुरुष के लिए सुख-दुख, सर्दी-गर्मी एवं मान-अपमान एक से हैं |




🙏51🙏 अपने मन पर लगाम कसें।जिस व्यक्ति ने अपने मन पर काबू पा लिया वे मन में पैदा होने वाली बेकार की चिंताओं और इच्छाओं से भी दूर रहता है। इसके साथ ही अपने लक्ष्य को भी आसानी से प्राप्त कर लेता है। 


अपने मन पर लगाम कसें।जिस व्यक्ति ने अपने मन पर काबू पा लिया वे मन में पैदा होने वाली बेकार की चिंताओं और इच्छाओं से भी दूर रहता है। इसके साथ ही अपने लक्ष्य को भी आसानी से प्राप्त कर लेता है।


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🙏50🙏 जिसने मन को जीत लिया है उसके लिए मन सर्वश्रेष्ठ मित्र है, किन्तु जो ऐसा नहीं कर पाया इसके लिए मन सबसे बड़ा शत्रु बना रहेगा।


जिसने मन को जीत लिया है उसके लिए मन सर्वश्रेष्ठ मित्र है, किन्तु जो ऐसा नहीं कर पाया इसके लिए मन सबसे बड़ा शत्रु बना रहेगा |




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🙏49🙏केवल पैसों से आदमी धनवान नहीं होता, असली धनवान वो है जिसके पास अच्छी सोच, मधुर व्यवहार और सुंदर विचार होते हैं।





🙏48🙏सौ काम छोड़कर भोजन करना चाहिए, हजार काम छोड़कर स्रान करना चाहिए, लाख काम छोड़कर दान करना चाहिए और करोड़ काम छोड़कर भगवान् का स्मरण करना चाहिए।


सौ काम छोड़कर भोजन करना चाहिए, हजार काम छोड़कर स्रान करना चाहिए, लाख काम छोड़कर दान करना चाहिए और करोड़ काम छोड़कर भगवान् का स्मरण करना चाहिए।



🙏47🙏जो सरलता से मिलता रहे उसका महत्व नहीं रह जाता, अक्सर खो देने के बाद समय, व्यक्ति और संबंध के मूल्य का आभास होता है!


जो सरलता से मिलता रहे उसका महत्व नहीं रह जाता, अक्सर खो देने के बाद समय, व्यक्ति और संबंध के मूल्य का आभास होता है!



🙏46 🙏 जो भाग्य में है, वह कहीं से भी भागकर आएगा और जो भाग्य में नहीं है, वह आकर भी भाग जाएगा, फिर चिंता किस बात की? आप सिर्फ कर्म करते रहें।


जो भाग्य में है, वह कहीं से भी भागकर आएगा और जो भाग्य में नहीं है, वह आकर भी भाग जाएगा, फिर चिंता किस बात की? आप सिर्फ कर्म करते रहें।


🙏45🙏विषय-वस्तुओं के बारे में हमेशा चिंतन करते रहने से मनुष्य को उनसे आसक्ति हो जाती है। इससे मनुष्य में उन वस्तुओं को पाने की कामना होती है और कामनाओं की पूर्ति न होने पर मनुष्य में क्रोध की उत्पत्ति होती है। इसलिए मनुष्य को हमेशा विषयासक्ति से दूर रहते हुए कर्म करना चाहिए।






🙏44🙏 श्रेष्ठ पुरुष जो आचरण यानी जो कर्म करते हैं, उनसे प्रभावित मनुष्य भी वैसा ही आचरण अपने व्यवहार में लाते हैं। श्रेष्ठ पुरुष जो प्रमाण या उदाहरण समाज में प्रस्तुत करते हैं, समस्त मानव जाती उसी का अनुसरण करने लगती है।


श्रेष्ठ पुरुष जो आचरण यानी जो कर्म करते हैं, उनसे प्रभावित मनुष्य भी वैसा ही आचरण  अपने व्यवहार में लाते हैं। श्रेष्ठ पुरुष जो प्रमाण या उदाहरण समाज में प्रस्तुत करते हैं, समस्त मानव जाती उसी का अनुसरण करने लगती है।





🙏43🙏 मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है।


मन की गतिविधियों, होश, श्वास, और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है; और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर के सभी कार्य कर रही है।




🙏42🙏जिन्होंने आपको कष्ट दिया है, आगे चलकर वो भी कहीं ना कहीं कष्ट जरूर भोगेंगे । अगर आप भाग्यशाली रहे तो ईश्वर आपको यह देखने का अवसर भी देगा। इसलिए कष्ट मिलने पर कभी भी धैर्य नहीं खोना चाहिए।





🙏41🙏किसी भी तरह की जीत के लिए खुद को प्रेरित करना जरूरी है क्योंकि प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत आपके अपने विचार ही होते हैं, इसलिए बड़ा सोचें और खुद को जीतने के लिए प्रेरित करें।




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🙏40🙏हमेशा इस बात को याद रखना चाहिए कि बुरा कार्य अपने मन में बोझ रखने के समान है। इसलिए अपने मन को हमेशा बुरे विचारों से खाली कर अच्छे विचार डालें।






🙏39🙏जो मौन को समझ ले, वो पूजनीय होता है, फिर चाहे वो मां हो, पत्नी हो, प्रेमी हो या परमेश्वर।


जो मौन को समझ ले, वो पूजनीय होता है, फिर चाहे वो मां हो, पत्नी हो, प्रेमी हो या परमेश्वर।




🙏 38🙏हमेशा सही के साथ खड़े रहो भले अकेले ही क्यों ना खड़ा रहना पड़े।


हमेशा सही के साथ खड़े रहो भले अकेले ही क्यों ना खड़ा रहना पड़े।



🙏37🙏

शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो चरित्र का निर्माण करे क्योंकि अच्छे चरित्र के बिना अच्छा जीवन नहीं जिया जा सकता।




🙏36🙏जीवन की एकमात्र समस्या मनुष्य की गलत सोच है। वहीं सही ज्ञान ही हमारी सभी समस्याओं का अंतिम समाधान है। श्रीकृष्ण कहते हैं मनुष्य को अपने मन पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि मन हर दगा दे जाता है। हर किसी को अपने मन की बजाय कर्म पर ही केंद्रित करना चाहिए।


जीवन की एकमात्र समस्या मनुष्य की गलत सोच है। वहीं सही ज्ञान ही हमारी सभी समस्याओं का अंतिम समाधान है। श्रीकृष्ण कहते हैं मनुष्य को अपने मन पर कभी विश्वास नहीं करना चाहिए क्योंकि मन हर दगा दे जाता है। हर किसी को अपने मन की बजाय कर्म पर ही केंद्रित करना चाहिए।



🙏35🙏ऐसे मनुष्य का पतन निश्चित है जिसके मन में अंहकार, ईर्ष्या और द्वेष की भावना हो क्योंकि यह सारी वृत्तियां दीमक की तरह होती हैं जो किसी भी इंसान को अंदर से खोखला कर देती हैं।



ऐसे मनुष्य का पतन निश्चित है जिसके मन में अंहकार, ईर्ष्या और द्वेष की भावना हो क्योंकि यह सारी वृत्तियां दीमक की तरह होती हैं जो किसी भी इंसान को अंदर से खोखला कर देती हैं।


🙏34🙏संसार के सभी रिश्ते समय पर काम आएं यह जरूरी नहीं है। पर भगवान से जुड़ा रिश्ता समय पर जरूर काम आता है।



संसार के सभी रिश्ते समय पर काम आएं यह जरूरी नहीं है। पर भगवान से जुड़ा रिश्ता समय पर जरूर काम आता है।




🙏33🙏भगवान सभी कसौटियों पर कसकर, जांच-परखकर ही मनुष्य को अपनाते हैं। इसलिए मन में गलत विचार नहीं रखना चाहिए। सदैव हर किसी के साथ प्रेम भाव से रहना चाहिए।


भगवान सभी कसौटियों पर कसकर, जांच-परखकर ही मनुष्य को अपनाते हैं। इसलिए मन में गलत विचार नहीं रखना चाहिए। सदैव हर किसी के साथ प्रेम भाव से रहना चाहिए।



🙏32🙏कर्म वो फसल है जिसे मनुष्य को हर हाल में खुद ही काटनी पड़ती है। इसलिए हमेशा अच्छे बीज बोएं ताकि उसकी फसल अच्छी हो।










🙏31🙏समुद्र में नदियाँ आकर मिलती हैं पर वह अपनी मर्यादा नहीं छोड़ता। ऐसे ही संसार में रहते हुए, उसके व्यवहारों को स्वीकारते हुए, अनेक कामनाओं का प्रवेश मन में होता रहता है। किंतु उनसे जिसका मन अपनी मर्यादा नहीं खोता उसे ही शांति मिलती हैं। इसे प्राचीन अध्यात्म परिभाषा में गीता में ब्राह्मीस्थिति कहा है।





🙏30🙏जब भी मन परेशान हो तो एक गहरी सांस लेकर अपने सारे कष्ट, दुविधाएं और परेशानी प्रभु के चरणों में समर्पित कर दीजिए क्योंकि जीवन की सारी परेशानियां प्रभु के चरणों में आकर समाप्त हो जाती हैं।






🙏29🙏 मनुष्य कर्म करने से पहले ही उससे मिलने वाले परिणाम की चिंता में परेशान होता रहता है। मनुष्य जैसा कर्म करता है उसे फल भी उसी के अनुरूप मिलता है। इसलिए अपने कार्य पर ध्यान दें और उसे ही बेहतर बनाने का प्रयास करें।





🙏28🙏अगर कोई किसी सरल व्यक्ति के साथ छल करता है तो उसके बर्बादी के सारे द्वार स्वंय खुल जाते हैं। चाहे वह कितने भी बड़े शतरंज का खिलाड़ी क्यों ना हो।




अगर कोई किसी सरल व्यक्ति के साथ छल करता है तो उसके बर्बादी के सारे द्वार स्वंय खुल जाते हैं। चाहे वह कितने भी बड़े शतरंज का खिलाड़ी क्यों ना हो।




🙏27🙏अच्छे के साथ अच्छे बनें, पर बुरे के साथ बुरे नहीं क्योंकि हीरे से हीरा तो तराशा जा सकता है लेकिन कीचड़ से कीचड़ साफ नहीं किया जा सकता।



अच्छे के साथ अच्छे बनें, पर बुरे के साथ बुरे नहीं क्योंकि हीरे से हीरा तो तराशा जा सकता है लेकिन कीचड़ से कीचड़ साफ नहीं किया जा सकता।



🙏26🙏किसी भी तरह की जीत के लिए खुद को प्रेरित करना जरूरी है क्योंकि प्रेरणा का सबसे बड़ा स्रोत आपके अपने विचार ही होते हैं। इसलिए बड़ा सोचें और खुद को जीतने के लिए प्रेरित करें।





🙏25🙏खुद में थोड़ा स्वाभिमान होना जरूरी है। वरना लोग तुम्हें वहां भी दबाने की कोशिश करेंगे, जहां तुम्हारा अधिकार है।





🙏24🙏 जीवन में सबसे बड़ी हार अपनी संभावनाओं से मुंह मोड़ लेना है। ऐसे लोग जानते ही नहीं कि उनके अंदर कितनी क्षमता है जिसका इस्तेमाल करके वो जो चाहें वो हासिल कर सकते हैं।





🙏23🙏हर आत्मा अपने हर जीवन काल में अपने पृथ्वी पे होने का अर्थ या मूल कारण समझेगी। इस जिंदगी में भोगने वाली चीजें और रिश्तों का आनंद लेगी। अच्छा बेटा और अच्छी बेटी, अच्छा भाई या अच्छी बहन, अच्छा पति या अच्छी पत्नी बनके हर दुनियावी रिश्ते पर खरी उतरेगी और इस परीक्षा को पास करेगी।






🙏22🙏जो इंसान आपके बुरे समय में आपका भागीदार है। आपके अच्छे समय का सच्चा भागीदार वही है। 







🙏21🙏धर्म वही है जो धारण किया हुआ है, जिसे आपका दिल मानता है। जैसे- झूठ नहीं बोलना, चोरी नहीं करना, भगवान का निरादर नहीं करना, दूसरों को नुकसान नहीं देना, यही सब धर्म है। और हर आत्मा को अपने जीवन काल में हर समय धर्म का पालन करना होगा और उसकी रक्षा करनी होगी।





🙏20🙏मुश्किल से मुश्किल वक्‍त में भी सकारात्‍मक सोच की दम पर पार किया जा सकता है । सोच सही हो तो लोग आधी लड़ाई वैसे ही जीत जाते हैं।सकारात्‍मकता से भरा दिमाग हर समस्‍या का हल खोजने में सक्षम होता है। जबकि नकारात्‍मकता मनुष्य को निराशा के गर्त में ले जाती है और उसे हार दिलाती है। 





🙏19🙏 जिस व्यक्ति ने अपने मन पर काबू पा लिया वे मन में पैदा होने वाली बेकार की चिंताओं और इच्छाओं से भी दूर रहता है। इसके साथ ही अपने लक्ष्य को भी आसानी से प्राप्त कर लेता है।





🙏18🙏 मनुष्य को उसके कर्मों के अनुरूप ही फल मिलता है। इसलिए परिणाम के बारे में सोचे बिना व्यक्ति को सिर्फ अपने कर्म पर ध्यान देना चाहिए।





🙏17🙏हम अपने आप को भगवान् के समक्ष अर्पित कर दें । यही सबसे उत्तम सहारा है और भय ,चिंता और शोक से मुक्ति पाने का एक सर्वश्रेष्ठ मार्ग भी है।




🙏16🙏परमात्मा कभी किसी का भाग्य नही लिखते हैं। जीवन के हर एक कदम पर हमारी सोच, हमारा व्यवहार, और हमारा कर्म ही हमारा भाग्य निर्धारित करते हैं।








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🙏15🙏 जो प्रभु की शरण में आता है 

उसका कभी विनाश नहीं होता | 

तुम निडर होकर यह घोषणा कर दो || 





🙏14🙏 अपने काम को मन लगाकर करें और अपने काम में खुशी खोजें




🙏13🙏 जो कुछ भी तू करता है, उसे भगवान को अर्पण करता चल। ऐसा करने से सदा जीवन-मुक्त का आनंन्द अनुभव करेगा









🙏12🙏 खाली हाथ आए और खाली हाथ चले। 

जो आज तुम्हारा है, कल और किसी का था, परसों किसी और का होगा। 

तुम इसे अपना समझ कर मग्न हो रहे हो। 

बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दु:खों का कारण है।





🙏11🙏 तुम अपने आपको भगवान को अर्पित करो। यही सबसे उत्तम सहारा है। जो इसके सहारे को जानता है वह भय, चिन्ता, शोक से सर्वदा मुक्त है।





🙏10🙏 जो हुआ, वह अच्छा हुआ,                                                 जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है,                                       जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा।                                तुम भूत का पश्चाताप न करो।                                       भविष्य की चिन्ता न करो।                                            वर्तमान चल रहा है।






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🙏9🙏 जीवन का कोई भी फैसला कभी भी क्रोध में आकर नहीं करना चाहिए क्योंकि क्रोध में लिए गए फैसले अक्सर गलत होते हैं।  इन फैसलों से व्यक्ति आगे चलकर बहुत पछताता है। इसलिए क्रोध आने पर भी खुद को शांत रखने का प्रयास करें।





🙏8🙏कितना भी मुश्किल समय क्यों ना हो हमेशा धैर्य से काम लें क्योंकि इस समय ईश्वर आपके साथ ही होता है।








🙏7🙏 कठिन समय में जब मन से धीरे से आवाज आती है कि 'सब अच्छा होगा' वही आवाज परमेश्वर की होती है।



🙏6🙏 जो मनुष्य अपने गुणों और कमियों को जान लेता है 
वह अपने व्यक्तित्व का निर्माण करके हर काम में 
सफलता प्राप्त कर सकता है।





🙏5🙏 व्यक्ति जो चाहे बन सकता है यदी वह विश्वास  के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करे।


🙏4🙏 एक व्यक्ति को खुद से बेहतर कोई नहीं जान सकता। 

इसलिए स्वयं का आंकलन करना भी बेहद आवश्यक है। 



🙏3🙏 आत्म मंथन करके स्वयं को पहचानो क्योंकि जब स्वयं को पहचानोगे तभी क्षमता का आंकलन कर पाओगे। ज्ञान रूपी तलवार से अज्ञान को काट कर अलग कर देना चाहिए। 








🙏2🙏 आनंद हमेशा मनुष्य के भीतर ही होता है 

परंतु मनुष्य उसे बाहरी सुखों में ढूंढता है।







🙏1🙏 क्रोध को जीतने में मौन ही सबसे अधिक सहायक होता है ।









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